इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 मिशन ने जापान के स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (एसएलआईएम) के मार्गदर्शन।

चंद्रयान-2 का मिशन आंशिक रूप से सफल रहा है, लेकिन इसका ऑर्बिटर आज भी चालू है और चंद्रमा की सतह के ऊपर मंडरा रहा है, जो उसे चंद्रमा की अद्वितीय अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

इसरो ने जापान के एसएलआईएम के सफल यात्रा से मिले अनुभवों का सही उपयोग करते हुए चंद्रयान-2 को शनिवार को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतरने में मदद की है।

चंद्रयान-2 के उत्कृष्ट मिशन की योजना में, भारत ने जापान के एसएलआईएम के अनुभव से सीखकर चंद्रमा के सतह पर सफलता प्राप्त करने के लिए कई उपायों का संचार किया है।

चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चंद्रमा के विभिन्न दृष्टिकोणों से मिले जानकारी ने जापान के एसएलआईएम को अगले मिशन के लिए लैंडिंग स्थान का चयन करने में मदद की है।

इसरो के चंद्रयान-2 मिशन का ऑर्बिटर आज भी चंद्रमा की सतह का अध्ययन कर रहा है और इसने बीते समय में खनिज विज्ञान, पानी की बर्फ की खोज, और स्थलाकृति अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया है।

भारत और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) की साझेदारी में, इसरो और JAXA आगामी LUPEX मिशन के लिए सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

इस मिशन के दौरान हुई चुनौतियों के बावजूद, चंद्रयान-2 ने अंतरिक्ष में साझेदारी और अनुभव की मिसाल प्रस्तुत की है, जिससे उपयोगकर्ताओं को आने वाले अंतरिक्ष मिशनों के लिए सीख मिलेगी।