विशेषज्ञों के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट से निकलने वाले पुनर्जीवित वायरस ने एक नए स्वास्थ्य खतरे को शून्य से उभारा है, जिसे 'ज़ोंबी वायरस' कहा जा रहा है।
पिछली महामारी से सिख करते हुए विशेषज्ञ अब आर्कटिक क्षेत्र में पिघलने वाले पर्माफ्रॉस्ट से निकलने वाले जीवाणुओं से मिलने वाले वायरस के खतरे को नकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहे हैं।
इसे 'मेथुसेलह वायरस' भी कहा जा रहा है, जो वैज्ञानिकों द्वारा अलग किए गए हैं और इसे बीमारियों की नई रूप के व्यापारिक आपातकाल के लिए एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है।
विशेषज्ञों ने आर्कटिक क्षेत्र में संजीवनी जीवों से संक्रमित होने वाली बीमारियों को निगरानी में रखने के लिए एक नया नेटवर्क की सुझाव दी है।
शोधकर्ताओं ने पर्माफ्रॉस्ट से निकलने वाले 'ज़ोंबी वायरस' के जीनोमिक निशानों का अध्ययन किया है, जिससे यह समझने में मदद हो सकती है कि वे मनुष्यों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
आर्कटिक निगरानी नेटवर्क नहीं सिर्फ संक्रमित लोगों के लिए संगरोध सहायता प्रदान कर सकता है, बल्कि विशेषज्ञ चिकित्सा उपचार और सुरक्षा के प्रयासों में भी सहायक हो सकता है।
विज्ञानियों ने पर्माफ्रॉस्ट में विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं के खतरनाकी रूप का अध्ययन किया है, जिससे वे मनुष्यों के लिए कितने हानिकारक हो सकते हैं यह समझा जा सकता है।
यह अध्ययन आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और पर्माफ्रॉस्ट के बीच एक संबंध की भी पुष्टि कर सकता है, जो वहां के जीवों के लिए एक और बड़ी चुनौती बना सकता है।